
अभी पहलगाम आतंकी हमले को 70 घंटे भी नहीं बीते कि पाकिस्तान अपनी वही पुरानी “न मरे तो प्रोपेगेंडा चलाओ” वाली स्क्रिप्ट लेकर सोशल मीडिया पर उतर आया है। लेकिन इस बार खेल थोड़ा उल्टा पड़ गया—क्योंकि झूठ का पर्दाफाश किसी भारतीय ने नहीं, बल्कि पाकिस्तान के ही जाने-माने पत्रकार वजाहत सईद खान ने किया है।
पहलगाम हमले में शामिल दो पाकिस्तानी आतंकी, तीनों लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े
पाकिस्तान की ISI भेज रही ‘प्रश्नावली’—फेक नैरेटिव बनाओ
वजाहत सईद खान ने अपने ब्लॉग में एक ईमेल और व्हाट्सऐप मैसेज शेयर किया है, जिसमें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां पत्रकारों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को गाइडलाइन दे रही हैं—“कैसे इस हमले को भारत का फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन दिखाना है।”
कुछ “क्रिएटिव” सवाल, जो पाकिस्तान अपने प्राइमटाइम पर पूछ रहा है:
नेवी अफसर की बॉडी के पास खून क्यों नहीं था?
26 मरे हैं तो बॉडीज कहां हैं?
पहलगाम जम्मू बॉर्डर से 100 किमी दूर है, फिर भी सुराग नहीं मिला?
भारत पहले ही सिंधु जल संधि खत्म करना चाहता था, ये हमला सिर्फ बहाना है!
पाक प्रोपेगेंडा की फैक्ट्री: सोशल मीडिया के नकली अकाउंट्स
खास बात ये है कि ये पूरा नैरेटिव सिर्फ फेसबुक या ट्विटर पर नहीं चल रहा, बल्कि ISI बाकायदा अपने फेक अकाउंट्स और टीवी डिबेट्स तक खींच रही है। यानी प्रोपेगेंडा का प्राइमटाइम शुरू!
झूठ फैलाने की नयी तकनीक: ‘सवाल पूछो, शक भरो’
इस बार पाकिस्तान सीधे-सीधे आरोप नहीं लगा रहा, वो “सवाल” पूछ रहा है। क्योंकि सवाल पूछकर शक पैदा करना ज्यादा “स्मार्ट” तरीका होता है। लेकिन जब सवाल इतने बेतुके हों कि ‘सावधान इंडिया’ की स्क्रिप्ट भी शर्म से पानी-पानी हो जाए, तो फिर क्या ही कहें।
तथ्य से चलेंगे, फिक्शन से नहीं
भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियां पहले ही एक्शन मोड में हैं। आतंकी पहचान हो चुकी है, कार्रवाई शुरू हो चुकी है, और अब नैरेटिव वॉर में भी पाकिस्तान की बोलती बंद हो रही है।
10 लाख से ऊपर की शॉपिंग पर सरकार बोलेगी – “1% तो बनता है बाबूजी!
शुक्र है, अब खुद उसके ज़मीर वाले पत्रकारों ने इस झूठ के स्क्रिप्ट राइटर्स की पोल खोल दी।